डोले का मसला कत्ल पर, और कत्ल का फैसले पर !

गांव में पुरानी कहावत है कि खेत में जो डोले होते हैं। उन पर दो किसानों में परस्पर झगड़ा इतना बढ़ गया कि आपस में संघर्ष करके कत्ल हो जाते हैं तथा मूंछों की खातिर फिर कत्ल की घटनाएं बढ़ती चली जाती हैं। समझदार लोग तो पहले कत्ल पर ही फैसला कर लेते हैं  और जो बुद्धिमान होते हैं, वे डोले के झगड़े को भी आगे नहीं बढ़ने देते और संगी साथियों को बुलाकर फैसला कर लेते हैं। इसमें ही भलाई है कि लड़ाई को थाने-कचहरी तक न ले जायें। दबने वाला व्यक्ति भी नुकसान में ही रहता क्योंकि दबंग व्यक्ति भले ही दूसरे व्यक्ति का नुकसान कर दे किन्तु अपने अभिमान में चूर होकर वह कहीं पर जाकर बुरी तरह परास्त होता है और बड़ी पीड़ा भागी बनता है। कष्ट का सहने वाला व्यक्ति दूरदर्शिता के कारण बड़ी परेशानियों से बचा रहता है।


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