यह कैसा समय चल रहा है। कहीें कोई पुरूष अपने बच्चों और पत्नि की जान लेता है तो कहीं पति आत्महत्या कर लेता है तो पत्नि बच्चों सहित अपना जीवन समाप्त कर लेती हैं। कहीं पति पहले पत्नि की हत्या करता है बाद में स्वयं भी मर जाता है और बच्चों को अनाथ कर देता है। कोई डिप्रेशन में ऐसा करता है तो कोई कर्जा होने के कारण ऐसा करता है। ऐसा भी होता है कि एकल परिवार होने के कारण कोई बदमाश बुजुर्ग दम्पत्ति को मार डालता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पति-पत्नी की नहीं बनती तो वे दोनों ही अलग-अलग रहते हैं और बदमाशों का शिकार बन जाते हैं। कुछ ऐसा ही ताराचन्द अग्रवाल के साथ गत दिवस हापुड़ में हुआ। एकल परिवार के कारण प्रायः इस प्रकार की समस्याएं अधिक पैदा हो रही हैं क्योंकि संयुक्त परिवार होने के कारण दुख-दर्द को परिजन बांट लेते थे। अब अकेला रहना तो वैसे भी भयभीत करता है। इस प्रकार की खबरों से समाचार पत्र भरे रहते हैं। एक व्यक्ति की मौत से कई परिवार प्रभावित होते हैं अतः ऐसी मौतों पर नियंत्रण पाना जरूरी है। कैसे करें पाठक अपनी राय भेंजे।
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अजब है हत्या-आत्महत्याओं का दौर !