कहीं आप पर नौकरी का दवाब तो नहीं है ?


एमबीए कर चुका अमर एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर के रूप में कार्यरत है। वह काफी दबाव में काम कर रहा है। देर तक काम करते हुए वह महीने में करीब दस दिन बाहर रहता है। हाल में उसने अपने काम के बारे में बातचीत करना बंद कर दिया है। हमेशा अपनी पत्नी की तस्वीर के सामने होना, देर रात तक जागना और खुद को काम से अलग रखने लगा है। पिछले दिनों उसने एक आलोचनात्मक आदेश कर दिया, जिससे उस पर सहकर्मियों की उंगली उठने लगी। अमर एक तरह से नौकरी के दबाव से पीड़ित है।


क्या वास्तव में ऐसा है?


दर्भाग्यवश यह सही है। और आज के अत्यधिक दबाव और भागम-भाग की दुनिया में निष्पक्ष रूप में आम भी है। नौकरी में काम का दबाव तब आता है जब काम करने की परिस्थति की मांग एक बार संसाधनों की मांग से अधिक हो जाती है । गला काट प्रतियोगिता और दबाव दोनों मिलकर किसी को भी बर्बाद करने और प्रभावी रूप में जवाब देने में अक्षम बना सकते हैं। ये चीजें प्रायः परेशान करने के साथ-साथ चिड़चिड़ापन, गैस की शिकायत, नींद न आने और तो और कई मामलों में तो यह पारिवारिक संबंधों पर भी असर करती है। अधिक काम के अलावा, नौकरी में अधिक दबाव आंतरिक मतभेदों के साथ परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का भी परिणाम होता है। प्रायः लोग यह स्वीकार नहीं करते हैं कि वो नौकरी के दबाव से गुजर रहे हैं, जब तक वो काम कर पाने को लेकर असमर्थ नहीं हो जाते। इस स्थिति को हम बूम आउट कहते हैं।


बेहतर विकल्प तलाश करें-


अगर आप अनुभव करते हैं कि आप नौकरी के दबाव से परेशान हैं, तो समस्याओं के बलवान होने से पहले स्थितियों को भांपते हुए अपने संसाधनों को जुटा लें। नौकरी में बदलाव आपके लिए बेहतर विकल्प हो भी सकता है और नहीं भी। दूसरा विकल्प और भी बेहतर हो सकता है कि क्यों न आप अपनी समस्या को फिर से समझें और उसके समाधान के लिए खुद अपने बॉस से उन चीजों पर बात करें और गंभीरतापूर्वक उसकी राह तलाशें।


आप अपनी पसंद के गाने सुनें, खास दोस्तों से इस मसले पर चर्चा करें। इस तरह आप योग की मदद ले सकते हैं या कोई मनोरंजन से भरपूर खेल या फिर तेज चहलकदमी कर सकते हैं। साहसपूर्वक शटलकॉक या टेनिस बॉल या अपने फुटबॉल विरोधी का दक्षतापूर्ण पीछा करना दबाव से छुटकारा पाने का एक बेहतर तरीका क्या हो सकता है?


इसे करें-


छोटी बातों को बड़ा मुद्दा न बनाएं। बीच-बीच में काम से दूर कहीं बाहर घूमने जाएं, जब आप लौटकर काम पर आते हैं तो आपकी काम करने की क्षमता दुगुनी होगी और आपके फैसले पहले से अच्छे होंगे। जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं वो अन्दर से मानसिक और मानसिक और भावुक चुनौतियों का साहसपूर्वक मुकाबला करने में अधिक सक्षम होते हैं । इसका एक अच्छा उदाहरण पुलिस ऑफिसर हैं, जो बहत ही दबाव में काम करते हैं।