बोनसाई पौधे क्या हैं, कैसे खरीदें ?

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बोनसाई पौधे उगाने की वह कला है, जिसमें एक विशाल कल्पवृक्ष, इमली, एल्म, पारस पीपल और बरगद जैसे पेड़ों को आप अपने घर में ऐसे स्थान पर रख सकते हैं, जहां उपयुक्त मात्रा में उसे धूप और वायु मिल सके। बोनसाई क्या है, इन्हें कैसे उगाया जाता है और इनकी देखभाल कैसे कि जाए आइए जानते है

बोनसाई क्या है?
बोनसाई छोटे पौधे बनाने की बहुत ही प्राचीन कला है। बोनसाई का मतलब होता है पॉट में पेड़। बोनसाई जापानी शब्द है, जो चीन के पनजाई से बना है। इस कला में ज्यादातर छोटी पत्ती वाले विभिन्न पेड़ों जैसे पारस पीपल, बरगद, कल्पवृक्ष, बोंच, सेवड़ा, इमली, फाइकस, रेटूसा, पिलखन, नीम आदि को एक विशेष तकनीक के जरिए छोटा ही रखा जाता है, लेकिन इससे पेड़ के स्वभाव पर कोई फर्क नहीं पड़ता वह एक बड़े पेड़ की तरह ही समय आने पर फल और फूल देता है।

बोनसाई की कला की शुरूआत कहां से हुई?
बोनसाई की शुरूआत सबसे पहले चीन में लगभग तीसरी शताब्दी के आसपास हुई मानी जाती है। सबसे पहले वहीं पर चीनी पत्थर के पॉट में यह छोटे-छोटे पेड़ उगाए जाते थे.

बोनसाई कितने प्रकार के होते हैं?
बोनसाई पेड़ों को तीन कैटेगरी में बांटा जा सकता है।

मिनी बोनसाई :- इसे मामे बोनसाई भी कहते हैं। ये पांच से पंद्रह सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते हैं। आप इन पेड़ों को अपने एक हाथ से भी उठा सकते हैं। 

क्लासिक बोनसाई :- ये पेड़ छह से दो फीट तक के होते हैं। इन्हें दोनों हाथों से ही उठाया जा सकता है। इनकी उम्र पांच से सैंकड़ों साल तक हो सकती है।

गेट बोनसाई :- इनकी लंबाई दो फीट से चार फीट या उससे ज्यादा होती है। इन्हें उठाने के लिए दो लोगों या उससे भी ज्यादा की जरूरत पड़ सकती है। ये पंद्रह साल तक पुराने हो सकते हैं।

बोनसाई पेड़ों की कितने स्टाइल होते हैं?
वैसे तो बोनसाई के 19 स्टाइल होते हैं, लेकिन मुख्यतः पांच हैं । ये हैं फॉरमल अपराइट, इनफॉरमल अपराइट, स्लैंटिंग, कासकैड और सेमी कासकैस।

बोनसाई खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें?
बोनसाई खरीदते समय उसकी जड़ें, तना और शाखाओं का ध्यान रखना चाहिए। बोनसाई में पेड़ का आकार बहुत मायने रखता है। एक अच्छा बोनसाई त्रिकोण के आकार का होना चाहिए। साथ ही बोनसाई थोड़ा आगे की ओर झुका हुआ होना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जिस तरह जापान के लोग अपने अतिथि का आगे की ओर झुक कर अभिवादन करते हैं, वैसे ही एक बोनसाई भी आगे की ओर झुका हुआ होता है।