संकल्प साधना कैसे करें !


साथियों! पिछले आलेख में आपने पढ़ा कि संकल्प शक्ति क्या है, इस आलेख में मैं आपको बताऊंगा कि इसे कैसे उत्पन्न किया जाता है।
आओं अब जानते हैं कि संकल्प साधना को कैसे किया जाता है-प्रातःकाल उठकर मन ही मन संकल्प करें कि आज कोई रास्ते में लंगूर दिखाई देगा तभी दोपहर का खाना खायेंगे, या कोई मदारी दिखाई देगा तभी खाना खायेंगे, या आज मेरा अक्खड बोस मेरे से मेरा हालचाल पूछेंगे तभी खाना खायेंगे, या आज मुझे कोई हरे रंग की गाड़ी दिखाई देगी तो मैं खाना खाउंगा आदि ऐसे संकल्प लें जो संभव हो, यानि जिनका घटना पोसेबिल्टी की श्रेणी में आता हो, कोई भी असंभव संकल्प न लें। जैसे आज प्रधानमंत्री का मुझ पर फोन आयेगा तो मैं खाना खाउंगा, या मेरी जेब में दो हजार का नोट आ जायेगा तो मैं खाना खाउंगा, आदि ऐसे असंभव संकल्प न लें। मन में लिया गया संकल्प गुप्त रखें किसी से भी उसकी चर्चा न करें। केवल अपने मन में उस संकल्प को रखें, आपकी इच्छा अवश्य पूरी होगी। प्रारम्भ में हो सकता है आपके एक दो संकल्प पूरे ना हां, परन्तु उसके बाद आपके संकल्प पूरे होने प्रारम्भ हो जायेगे, हां!! साथियों संकल्प साधना के लिए आवश्यक है कि आप त्राटक या कोई ध्यान जरूर करते हां उसके न करने से आपके संकल्प पूरे होने कठिन हैं अतः यह संकल्प साधना ध्यान करने वाले साधकों के लिये ही है।
प्रारम्भ में सप्ताह में केवल एक ही संकल्प करें, दो-तीन माह बीतने के बाद आप सप्ताह में दो दिन ये संकल्प ले सकते हैं लगातार दो दिन न लें, बीच में दो तीन दिन छोड़ कर संकल्प लें।
कुछ माह बाद आप मन में जो भी संभव कार्य सोचेंगे वे पूरे होने प्रारम्भ हो जायेगे, आवश्यकता केवल ये होगी कि आपका प्रत्येक संकल्प मन की गहराईयों से किया गया हो, और उसके पूरा होने में आपका पूरा आत्मविश्वास हो। वे संकल्प अवश्य पूरे होगे। यदि आपका कोई संकल्प पूरा न हो तो उस संकल्प को त्याग कर अगले दिन नया संकल्प लें, आप एक डायरी बना लें प्रत्येक संकल्प को उसमें लिखें और उसके पूरा होने पर उसे सफल व पूरा न होने पर उसे असफल की श्रेणी में लिखें। धीरे-धीरे आप देखेंगे कि आपके सफल संकल्पों का ग्राफ बढ़ रहा हैं कुछ माह बाद आप देखेंगे कि आपके अस्सी प्रतिशत तक संकल्प पूरे होने लगे हैं, आपको आश्चर्य होगा, कि इस प्रकार आपके छोटे-छोटे विचार, इच्छाएं, संकल्प बनकर पूरे हो रहे हैं, यहि सफलता आपके बड़े-बड़े संकल्प लेने का मार्ग प्रशस्त करेगी। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं!


लेखक-संजय कुमार गर्ग