ऑस्टियोपोरोसिस से कैसे बचे !


दुनियाभर में आज विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जा रहा है। विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस हर साल 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। हुआ। यह हड्डी का एक ऐसा रोग है जिससे फ़्रैक्चर का खतरा काफी बढ़ जाता है। समय के साथ हड्डियों को कमजोर होने या ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे से बचा नहीं जा सकता लेकिन इसकी प्रक्रिया को जरूर धीमी किया जा सकता है। जो लोग इस प्रकिया को जानते हैं उन्हें बुढ़ापे में भी यह रोग छू नहीं पाता। जानिए कैसे। 
जवानी में कसरत से बुढ़ापे में फायदा
डॉक्टर अरुण पांडे के मुताबिक, हड्डियों का विकास 30-32 साल तक होता है और 42 से 45 साल तक हड्डियां स्थिर होती हैं। 45 साल के बाद इन पर उम्र का असर पड़ने लगता है। यह कमजोर होने लगती हैं। किसी वजह से अगर 32 साल के पहले व्यायाम और शारीरिक श्रम के अलावा पौष्टिक भोजन लिया जाए तो हड्डी मजबूत हो जाती है और बोन मास बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को बुढ़ापे में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है।
ऑस्टियोपोरोसिस होने के ये होते हैं मुख्य कारण-
ऑस्टियोपोरोसिस से सबसे ज्यादा परेशान वो लोग होते हैं जिनकी फिजिकल एक्टिविटी कम होती है। इसके अलावा जेनेटिक फैक्टर, प्रोटीन, विटामिन डी और कैल्शियम की भी शरीर में कमी इस रोग से व्यक्ति को जकड़ लेती है। 
-इसके अलावा ज्यादा ड्रिंक्स के सेवन के साथ स्मोकिंग, डायबीटीज, थायरॉइड जैसी बीमारियों के साथ महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होना या मीनोपॉज की स्थिति में भी व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत हो सकती है। 
 ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण
-शरीर में लगातार थकावट
- हाथ और पांव में दर्द रहना
-कमर में दर्द की शिकायत
-हल्की चोट पर हड्डियों का टूटना
-काम की इच्छा न करना
सावधानी
-खाने में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त पदार्थों को शामिल करें।
-हर रोज कम से कम 15-20 मिनट धूप में जरूर बैठें।
-हर रोज कम से कम 45 मिनट व्यायाम करें या खेलें। 
-धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
-उम्र 40 पार है और हल्की चोट पर फ्रैक्चर होने पर बोन डेंसिटी टेस्ट करवाएं।


संकलन-संजय कुमार गर्ग