वास्तु दोष का निवारण करते हैं "गजानन"


गजानन को बुध ग्रह से संबंधित माना जाता है। गणेशजी की पूजा-आराधना के बिना वास्तु देवता की संतुष्टि अकल्पनीय है। मान्यतानुसार गणेशजी के वंदन से वास्तुदोष का शमन होता है।


-घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाकर उसके ठीक दूसरी गणेश प्रतिमा इस तरह लगाएं कि दोनों की पीठ आपस में मिली रहे। इससे वास्तुदोषों का शमन होता है।


-वास्तुदोष से प्रभावित भवन के किसी भाग में घी मिश्रित सिंदूर से दीवार पर स्वस्तिक बनाने से वहां का वास्तुदोष कम होता है।


-ऑफिस, दुकान व भवन के किसी भी भाग में वक्रतुंड की प्रतिमा या चित्र लगाए जा सकते हैं। प्रतिमा/चित्र का मुंह दक्षिण दिशा या नैऋत्य में नहीं हो।


-यदि आप सुख-शांति और समृद्धि की चाह रखते हैं तो सफेद रंग के विनायक का चित्र या मूर्ति लगाएं.


-सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना से सर्वमंगल होता है, ध्यान रखें कि गणेशजी की मूर्ति या चित्र में उनकी सूंड उनके बाएं हाथ की तरफ घूमी हुई हो। यदि सूंड में मोदक (लड्डू) हो तो अच्छा है।


-गणपति को मोदक तथा वाहन मूषक अति प्रिय है। इसलिए गणपति प्रतिमा में चूहा और लड्डू अवश्य हों।


-ध्यान रखें कि घर में बैठे हुए गजानन तथा ऑफिस-दुकान (कार्यस्थल) पर खड़े गणेशजी की प्रतिमा लगाएं।


-खड़े हुए गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों। इससे कार्यों में स्थिरता आती है।


-आवास के केंद्र (ब्रह्मस्थल) में, पूर्व दिशा में एवं ईशान में विघ्नहर्ता गणेश की मूर्ति लगाना मंगलदायक होता है।


संजय कुमार गर्ग (वास्तुविद) 8791820546