नंगे पैर चलने के ये फायदे शायद आप नहीं जानते?


स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि नंगेे पैर चलना स्वास्थ्य के लिए के लिए अच्छा है। इससे पैरों की मांसपेशिया तो मजबूत होती ही हैं। बल्कि प्रातः काल हरी घास पर नंगे पैर सैर करने से ताजगी भी मिलती है, साथ ही नेत्र ज्योति भी बढ़ती है इसलिए जब भी आपको नंगे पैर चलने का मौका मिले तो अवश्य चले ताकि आपके पैर की हड्डियों की मजबूती बनी रहे और आंखों की ज्योति भी बढ़े। परन्तु साथ ही सर्दी के मौसम में सुबह-सुबह घास पर चलने में सावधानी रखें उसके लिए अपनी शारीरिक स्थिति, आयु, वय आदि का भी ध्यान रखें, गर्मी के मौसम में बिना टेन्शन के घास पर चला जा सकता है। नंगे पैर चलने के निम्न लाभ हैं-


-सबसे पहला लाभ तो यह है, कि दिनभर आप अपने पैर जूते या चप्पलों से पैक रखते हैं, ऐसे में नंगे पैर खुली हवा में रहने से, पैरों को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है, रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे उनकी थकान या दर्द खत्म हो जाता है।


-नंगे पैर पैदल चलने से वे सारी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है, जिनका उपयोग जूते-चप्पल पहनने के दौरान नहीं होता। मतलब आपके पैरों के अलावा, उससे जुड़े सभी शारीरिक भाग सक्रिय हो जाते हैं।


-नंगे पैर पैदल चलते वक्त, आपके पंजों का निचला भाग सीधे धरती के संपर्क में आता है, जिससे एक्युप्रेशर के जरिए सभी भागों की एक्सरसाईज होती है, और कई तरह की बीमारियों से निजात मिलती है।


-प्राकृतिक तौर पर धरती की उर्जा पैरों के जरिए आपके पूरे शरीर में संचारित होती है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे आपको भूमि तत्व से संबंधित रोग नहीं होते।


-दिनभर जूते-चप्पल पहनकर आप चलने में जरूर संतुलन बनाए रखते हैं, परंतु नंगे पैर चलना आपके शरीर की सभी इंद्रियों के संतुलन की प्राकृतिक चेतना को बरकरार रखने में मदद करता है।


-नंगे पैर चलने से शरीर में प्राकृतिक रूप से ऊर्जा बनी रहती है, और इससे शरीर के अंग अधिक सक्रिय, सुडौल व उपयोगी बनते हैं। इसके साथ ही आपका रक्त संचार भी बेहतर होता है।


-नंगे पैर चलना एक तरह से प्रकृति के साथ, खुद के और करीब आने जैसा है। इसके जरिए आप खुद के प्रति अधिक जागरूक होते हैं और पहले से अधिक संवेदनशील होते हैं।


-इस प्रयोग से उर्जा का स्तर बढ़ने के साथ ही, तनाव, हाईपरटेंशन, जोड़ों में दर्द, नींद न आना, हृदय संबंधी समस्या, ऑथ्राईटिस, अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्याएं भी समाप्त होती है, और रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है