मोतियाबिन्द का आपरेशन टालने के खतरें?


मोतियाबिन्द आपरेशन एक छोटा सा साधारण आपरेशन है। मोतियाबिन्द का आपरेशन यदि हम नहीं कराएं तो अपारदर्शी लेन्स के न हटाने से व्यक्ति अंधा हो जाता है। इस खतरे से बचने के लिए जैसे ही पता चले कि मोतियाबिन्द है, आपरेशन के लिए स्वयं अस्पताल जाकर जांच करा लेना चाहिए और आपरेशन भी करा लेना सर्वोत्तम होगा।
आपरेशन का समय-अक्तूबर से फरवरी तक अधिकतम मोतियाबिन्द के आपरेशन होते हैं।ं मोतियाबिन्द का आपरेशन वर्ष भर में कभी भी कराया जा सकता है। यदि मोतियाबिन्द के आपरेशन में विलम्ब होता है तो लाइलाज अन्धापन अवश्य हो सकता है।
जैसे ही कम दिखना प्रारंभ हो, मोतियाबिन्द का आपरेशन कराने के लिए अस्पताल जाना चाहिए। एक समय में एक ही आंख का आपरेशन किया जाता है। जो आंख ज्यादा प्रभावित होती है उसका आपरेशन सबसे पहले किया जाता है। जब यह आंख पूर्णतया दृष्टि पा जाती है तब ही दूसरी आंख का आपरेशन होता है।
मोतियाबिन्द का आपरेशन अत्यंत साधारण आपरेशन है। इसमें कोई दर्द और कष्ट नहीं है। आपरेशन करते वक्त व्यक्ति को बेहोश नहीं किया जाता।


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आपरेशन के बाद की सावधानियां-सफल आपरेशन के बाद भी रोगी को एक माह तक सावधानी रखनी आवश्यक है। नेत्र सर्जन जो दवा देते हैं, उसे नियमित रूप से लेना, आंख को हरी पट्टी से ढक कर रखना, तेज रोशनी, धुआं, धूल से आंख को बचाना बहुत आवश्यक है। इतना ही नहीं, यदि कोई शिकायत हो तो तत्काल डाक्टर को बताना चाहिए और सलाह अनुसार कार्य करना चाहिए।
मोतियाबिन्द के आपरेशन के बाद, दो सप्ताह तक सिर न धोने, भारी परिश्रम न करने, अधिक झुकने, मुडने के कार्य न करने की सलाह डाक्टर देते हैं। इस आपरेशन वाली आंख को छूना, दबाना खतरनाक रहता है।
आप क्या कर सकते हैं-मोतियाबिन्द आपरेशन के इस कार्य में उन व्यक्तियों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है जिन्हें मोतियाबिन्द नहीं हुआ है।
(अधिक जानकारी के लिए अपने निकटम आंखों के डाक्टर से सलाह लेनी जरूरी है।)