ब्रह्म मुहूर्त में जागने का महत्व!


रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त के नाम से जाना जाता है । सोकर जागने के लिए यही समय उत्तम बताया गया है । प्रत्येक धर्म सम्प्रदाय के लोग सूर्योदय से पूर्व जागकर अपने-अपने इष्ट देवता की प्रार्थना-उपासना, आराधना करते हैं, तब अपने काम पर जाते हैं । ऐसा विश्वास सभी धर्मों में है कि प्रात:कालीन की गई साधना एवं उपासनाएं शीघ्र प्रतिफलित होती हैं और आध्यात्मिक तथा भौतिक सफलताएं  सरलता से - मिल जाती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी प्रातः जागरण उत्तम है । सेना और पुलिस के जवान सूर्योदय से पूर्व जागकर अपने नित्य नियम से निवृत्त होकर व्यायाम, परेड और कवायद करते हैं । पाश्चात्य विचारकों ने भी "अर्ली टू वेड एण्ड अर्ली टू राइज, मेक्स दी मैन हैल्दी एण्ड वाइज" कहकर प्रातः जल्दी जागरण की महत्ता स्वीकार की है । इस समय विद्यार्थियों द्वारा पढ़े गये पाठ जल्दी याद होते हैं और स्फूर्ति तथा फुर्ती दिन भर बनी रहती है।


रात्रि के तीनों प्रहरों में ब्रह्म मुहूर्त को ही सर्वोत्तम माना गया है । शास्त्रकारों ने बताया है कि रात्रि के प्रथम प्रहर में भोगी जागता है और रात्रि के द्वितीय प्रहर में रोगी जागता है और रात्रि के तृतीय प्रहर में योगी जागता है। अर्थात् शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम समय रात्रि का यह तृतीय प्रहर ही है । वैज्ञानिकों के अनुसार भी रात्रि


तृतीय प्रहर में मस्तिष्क सर्वोत्तम तरीके से कार्य करता है । व्यायाम, चिन्तन, मनन, ध्यान-साधनाओं आदि का उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त ही है । इसका लाभ हर कोई उठा सकता है और अभीष्ट को प्राप्त कर सकता है।


चोर, डाकू, लुटेरे तथा हिंसक जीव जन्तु सूर्योदय से पूर्व अपने छिपने का स्थान खोजते हैं. जब कि संसार भर के पशु, पक्षी सूर्योदय से पूर्व जाग पड़ते हैं । भारत में तो प्रात:कालीन मुर्गे की बांग पर जाग पड़ने का प्रचलन प्राचीन काल से चला आ रहा है । किसान, मजदूर, विद्यार्थी, साधक आदि सभी प्रातः जाग पड़ते हैं और जो सोते रहते हैं उन्हें उठ पड़ने की चेतावनी देते हैं। - प्रभातकालीन बेला में जगने के पीछे ऐसी कौन सी बात है, यह जानने की लोगों की इच्छा सहज ही बनी रहती है । विज्ञ जनों का कहना है कि इस समय प्रकृति मुक्त हस्त से स्वास्थ्य, बुद्धि, मेधा, प्रसन्नता और सौन्दर्य की अपार राशि बखेरती रहती है । उस वक्त वायु के कण-कण में जीवनी शक्ति ओत-प्रोत रहती है । ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी पर चन्द्रमा ने रात भर जो अमृत बिन्दु बखेरे होते हैं उन्हें ब्रह्म मुहर्त में उठेकर जो ग्रहण कर लेते हैं वह हर दृष्टि से नफे में रहते हैं अन्यथा सूर्योदय होते होते उससे वंचित रहना पड़ता है । वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्माण्ड में व्याप्त वायु में आक्सीजन.२१ प्रतिशत तथा कार्बनडाई आक्साइड ६ प्रतिशत और नाइट्रोजन ७३ प्रतिशत होती है । पूरे दिन वायु का क्रम इसी प्रकार बना रहता है । किन्तु संध्या होते-होते कुछ परिवर्तन आने लगता है और आक्सीजन का औसत अपने स्वाभाविक रूप से कुछ मंद पड़ने लगता है । फलत: जीवधारियों की प्राण शक्ति भी क्षीण होने लगती है तथा विश्राम की आवश्यकता अनुभव होने लगती है । जब प्रात:काल में प्राण वायु के स्तर में वृद्धि होने लगती है तब जीवधारी ताजगी, स्फूर्ति महसूस करने लगते हैं । थकान मिटने लगती है और सब अपना अपना बसेरा छोड़कर आहार और काम की तलाश में निकल पड़ते हैं।


प्रात:कालीन जागरण के अनेकों लाभ स्वास्थ्य विज्ञानियों ने बताए हैं किन्तु सर्वाधिक लाभ जो होता है। वह है स्वास्थ्य, समृद्धि के साथ समय की बहुत बड़ी बचत का हो जाना । प्रायः महान पुरुषों में से सभी व्यक्ति सदैव ब्रह्म मुहूर्त में जागते रहे हैं और उस समय में महत्वपूर्ण कार्य करते रहे हैं । साधना, उपासना, लेखन और स्वाध्याय के अतिरिक्त चिन्तन-मनन आदि कितने ही आवश्यक कार्य निपटाए जा सकते हैं । ब्रह्ममुहूर्त में जागरण करने वालों का अनुभव है कि इस समय में -मस्तिष्क की सक्रियता का सही सदुपयोग बन पड़ता है. एकाग्रता सधती है । इसका सदुपयोग करने वालों की मेधा, बुद्धि विलक्षणरूप से प्रखर होती है और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक बना रहता है । महात्म गांधी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मदनमोहन मालवीय, पुरुषोत्तम दास टण्डन आदि सभी ने ब्रह्म मुहूर्त के जागरण की एक मत से प्रशंसा की है और इस समय में वितरित अनमोल अमृत का लाभ उठाने की सलाह दी है।