आस्था के बिना विज्ञान विनाश ही पैदा करेगा---(आइन्स्टीन)


विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन बर्लिन हवाई अड्डे से हवाई जहाज में सवार हुए। थोड़ी देर में उन्होंने माला निकाल कर जपना शुरू कर दिया। उनके निकट बैठे युवक ने उनकी ओर हीनता से देखते हुए कहा-"आज का युग वैज्ञानिक युग है। आज दुनिया में आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिक हैं और आप माला जपकर रूढ़िवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।" ऐसा कहकर उसने अपना कार्ड उनकी तरफ बढ़ाया और बोला "मैं अंधविश्वास समाप्त करने वाले वैज्ञानिकों के दल का प्रमुख हूँ। कभी मिलने आइए।"


उत्तर में आइंस्टीन ने मुस्कराकर अपना कार्ड निकाला और उसे दिया। उनका नाम पढ़ते ही वह युवक हक्का-बक्का रह गया। आइंस्टीन बोले-"दोस्त! वैज्ञानिक होना और आध्यात्मिक होना, विरोधी बातें नहीं हैं। बिना आस्था के विज्ञान विनाश ही पैदा करेगा, विकास नहीं।" युवक के जीवन की दिशा यह सुनकर बदल ही गई।